Bengaluru Stampede: CM Siddaramaiah’s Controversial Maha Kumbh Reference Sparks Debate

4 जून 2025 को RCB की ऐतिहासिक जीत के बाद हजारों प्रशंसक एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर टीम को देखने इकट्ठा हुए। कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) ने कप्तान रजत पाटीदार के नेतृत्व वाली टीम के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया था, लेकिन भीड़ बेकाबू हो गई। 2–3 लाख लोग स्टेडियम पहुंचे, जिसकी क्षमता केवल 35,000 है। लोग दीवारें फांदते और गेट तोड़ते देखे गए, जिससे भगदड़ मच गई।

मृतक और घायलों की जानकारी:

  • मृतकों में 13–35 वर्ष की आयु के युवक और युवतियां शामिल हैं।
  • बॉरिंग अस्पताल में 6 और वायदेही अस्पताल में 4 मौतें हुईं।
  • कुल 33 लोग घायल हुए, जिनमें से कई को वायदेही और मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अफरा-तफरी का मंजर:
वीडियो में पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में जूझते देखा गया। एम्बुलेंसों को भी भीड़ के कारण घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई। जूतों, फटी जर्सियों और टूटे बैरिकेड्स ने त्रासदी की गंभीरता दर्शाई।

सीएम सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया और महाकुंभ तुलना

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ने कहा:
“इस त्रासदी का दर्द, जीत की खुशी को मिटा चुका है।”

घोषणाएं:

  • ₹10 लाख मुआवज़ा मृतकों के परिवार को और घायलों का मुफ्त इलाज।
  • 15 दिन की मजिस्ट्रेट जांच
  • “किसी को इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी… स्टेडियम की क्षमता से कई गुना लोग आ गए।”

विवादास्पद टिप्पणी:
उन्होंने कहा –
“ऐसी घटनाएं कई जगह हुई हैं। कुंभ मेले में 50–60 लोग मारे गए। तब हमने आलोचना नहीं की।”

यह बयान जनवरी 2025 के प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ की ओर इशारा करता है, जिसमें 30 लोगों की मौत और 60 घायल हुए थे। सिद्धारमैया की मंशा यह दिखाने की थी कि बड़ी भीड़ में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, लेकिन आलोचकों ने इसे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश बताया।

राजनीतिक और जन प्रतिक्रिया

बीजेपी:
राज्य अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने सरकार पर “घोर लापरवाही” का आरोप लगाया और न्यायिक जांच की मांग की।
“पुलिस, एम्बुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं थी। सरकार को प्रचार से ज्यादा योजना पर ध्यान देना चाहिए था।”

एच.डी. कुमारस्वामी (केंद्रीय मंत्री):
उन्होंने कहा कि सरकार की “पूरी तरह से नाकामी” के कारण यह हादसा हुआ।

कांग्रेस नेता:
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुरक्षा उपायों की मांग की।
राहुल गांधी ने VIP केंद्रित अव्यवस्था की आलोचना करते हुए सिद्धारमैया की बातों को आंशिक समर्थन दिया।

जन प्रतिक्रिया (X/Twitter पर):

  • @pradip103: “सीएम का बयान असंवेदनशील है।”
  • @KaranChougule01: “कुंभ में 30 लाख थे, यहां 2 लाख… सरकार नाकाम रही।”

सिद्धारमैया ने सफाई दी:
“हम राजनीति नहीं करेंगे। घटना की ज़िम्मेदारी टालना नहीं चाहते। KSCA ने आयोजन किया था, राज्य ने पुलिस सहायता दी थी।”

महाकुंभ तुलना: संदर्भ और विवाद

29 जनवरी 2025, प्रयागराज:
6.99 करोड़ श्रद्धालु मौनी अमावस्या स्नान के लिए पहुंचे। अखाड़ा मार्ग पर बैरिकेड टूटने से भगदड़ मची।
उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच बिठाई और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भीड़ नियंत्रण के दिशा-निर्देश दिए।

विवाद का कारण:
धार्मिक तीर्थयात्रा और क्रिकेट उत्सव की तुलना गलत बताई गई, क्योंकि भीड़, स्थान और आयोजन की प्रकृति भिन्न थी। फिर भी, सिद्धारमैया ने भारत की भीड़ प्रबंधन की लगातार विफलता की ओर ध्यान खींचा।

सरकारी कदम और RCB की प्रतिक्रिया

सरकारी कार्यवाही:

  • 15 दिन की मजिस्ट्रेट जांच।
  • ₹10 लाख मुआवज़ा और मुफ्त इलाज।
  • CM और डिप्टी CM ने अस्पतालों का दौरा किया।
  • कार्यक्रम को छोटा कर 10 मिनट में खत्म किया गया।

RCB का बयान:
“हम इस दुखद घटना से बेहद दुखी हैं। सभी की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। RCB मृतकों के प्रति शोक व्यक्त करता है।”

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • पीएम नरेंद्र मोदी: “यह घटना बेहद दुखद है।”
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: “यह दिल दहला देने वाली घटना है।”
  • ऋषि सुनक: पूर्व ब्रिटिश पीएम ने दुख जताया।
  • असदुद्दीन ओवैसी: “सरकार को ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।”

भीड़ प्रबंधन के लिए सुझाव

  • प्री-रजिस्टर पास अनिवार्य करना।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार – चौड़े प्रवेश/निकासी मार्ग और ड्रोन व AI से निगरानी।
  • जन जागरूकता – भीड़ में सुरक्षा नियमों का प्रशिक्षण।
  • सख्त नियम – बड़े आयोजनों के लिए सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य करना।

उत्तर प्रदेश ने कुंभ हादसे के बाद ऐसे उपाय अपनाए थे। बेंगलुरु को भी इसी तरह की रणनीतियों की ज़रूरत है।

निष्कर्ष

4 जून 2025 की बेंगलुरु भगदड़ ने RCB की ऐतिहासिक जीत को शोक में बदल दिया। सीएम सिद्धारमैया की महाकुंभ तुलना ने व्यापक आलोचना को जन्म दिया, हालांकि उनका उद्देश्य देश में भीड़ नियंत्रण की समस्याओं को उजागर करना था। अब ज़रूरत है जवाबदेही और सुरक्षा सुधार की, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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